ऑनलाइन ट्रांजैक्शन पर 18% जीएसटी: यूपीआई और डेबिट/क्रेडिट कार्ड पर टैक्स से जुड़ी जानकारी
Introduction:-
डिजिटल इंडिया के बढ़ते कदम के साथ ऑनलाइन ट्रांजैक्शन एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस), डेबिट और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भुगतान करने का चलन आम हो गया है। लेकिन हाल ही में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन पर 18% जीएसटी (वस्तु और सेवा कर) लगाने को लेकर कई खबरें सामने आई हैं।
इनमें से अधिकांश समाचारों में बताया गया कि 2000 रुपये से कम के ट्रांजैक्शन पर भी जीएसटी लगेगा। इस आर्टिकल में हम विस्तार से समझेंगे कि जीएसटी ऑनलाइन ट्रांजैक्शन पर कैसे और कब लागू हो सकता है, यूपीआई ट्रांजैक्शन पर इसका क्या असर होगा, और इससे जुड़ी सभी आवश्यक जानकारी।
जीएसटी और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन का इतिहास
2016 में नोटबंदी के समय, सरकार ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कुछ शुल्कों को माफ कर दिया था। इसमें मुख्य रूप से डेबिट और क्रेडिट कार्ड से किए जाने वाले 2000 रुपये से कम के लेनदेन पर टैक्स को हटा दिया गया था। उस समय जीएसटी के स्थान पर सर्विस टैक्स लागू था, लेकिन इसका प्रभाव ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को लेकर समान ही था।
जीएसटी का पेमेंट एग्रीगेटर्स पर प्रभाव
पेमेंट एग्रीगेटर्स, जैसे कि फोनेपे, पेटीएम, रेजरपे आदि, उन सेवाओं को प्रदान करते हैं जिनके माध्यम से डिजिटल भुगतान की प्रक्रिया होती है। इन कंपनियों की सेवाओं पर भी जीएसटी लागू होता है, खासकर उनकी आय पर। उदाहरण के तौर पर, जब आप फोनेपे के माध्यम से कोई ट्रांजैक्शन करते हैं और अगर फोनेपे आपसे किसी चार्ज का शुल्क लेता है, तो उस शुल्क पर 18% जीएसटी लगाया जा सकता है।
2000 रुपये से कम के ऑनलाइन ट्रांजैक्शन पर जीएसटी
हाल ही में यह चर्चा उठी थी कि 2000 रुपये से कम के ऑनलाइन ट्रांजैक्शन पर भी 18% जीएसटी लागू किया जा सकता है। लेकिन यह नियम केवल डेबिट और क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन के लिए लागू हो सकता है, न कि यूपीआई ट्रांजैक्शन के लिए।
यूपीआई भुगतान के मामले में, चाहे वह किसी भी एग्रीगेटर के माध्यम से हो, वर्तमान में कोई जीएसटी लागू नहीं किया गया है और भविष्य में भी इसके लागू होने की संभावना नहीं है।
यूपीआई ट्रांजैक्शन और जीएसटी
यूपीआई ट्रांजैक्शन पर किसी भी प्रकार का जीएसटी लागू नहीं किया गया है। यूपीआई के माध्यम से भुगतान करने पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता है, चाहे आप किसी मर्चेंट को भुगतान करें या किसी व्यक्ति को पैसा भेजें। सरकार ने यूपीआई के माध्यम से किए जाने वाले ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को पूरी तरह से मुफ्त रखा है ताकि डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित किया जा सके।
पेमेंट एग्रीगेटर्स का रोल
पेमेंट एग्रीगेटर्स, जैसे कि रेजरपे, फोनेपे, पेटीएम आदि, उन कंपनियों में से हैं जो मर्चेंट और ग्राहकों के बीच पेमेंट गेटवे का काम करती हैं। इनके ऊपर जो जीएसटी लागू होता है, वह उनकी सेवाओं की आय पर आधारित होता है। जैसे अगर रेजरपे 1000 रुपये की ट्रांजैक्शन पर 1% का शुल्क लेता है, तो इस 10 रुपये के शुल्क पर 18% जीएसटी लगाया जा सकता है, जो 1.8 रुपये होता है।
ट्रांजैक्शन शुल्क और ग्राहकों पर प्रभाव
जब पेमेंट एग्रीगेटर अपनी सेवाओं के लिए मर्चेंट से शुल्क लेते हैं, तो वे इस शुल्क पर जीएसटी भी वसूलते हैं। मर्चेंट के पास विकल्प होता है कि वह इस शुल्क को अपने ग्राहकों पर पास ऑन कर दे। यानी, इस जीएसटी का बोझ अंततः ग्राहकों पर भी पड़ सकता है। हालांकि, यह पूरी तरह से मर्चेंट पर निर्भर करता है कि वह इस शुल्क को ग्राहकों पर पास करता है या नहीं।
नोटबंदी और डिजिटल भुगतान का बढ़ावा
नोटबंदी के बाद से सरकार ने डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए। इसमें सबसे बड़ा कदम था 2000 रुपये से कम के डेबिट और क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन पर टैक्स को हटाना। इसका उद्देश्य था कि अधिक से अधिक लोग डिजिटल माध्यम से भुगतान करें और नकद के उपयोग को कम करें। लेकिन हालिया खबरों के अनुसार, सरकार इस छूट को वापस लेने पर विचार कर रही है।
जीएसटी और ट्रांजैक्शन शुल्क का कैलकुलेशन
अगर आप 2000 रुपये से ऊपर का ट्रांजैक्शन करते हैं, तो पेमेंट एग्रीगेटर आमतौर पर आपसे 1-2% का शुल्क लेते हैं। इस शुल्क पर जीएसटी भी लागू होता है। उदाहरण के तौर पर, अगर रेजरपे आपको 2% शुल्क वसूलता है, तो 2000 रुपये की ट्रांजैक्शन पर यह शुल्क 40 रुपये होगा। अब इस 40 रुपये पर 18% जीएसटी लगाया जाएगा, जो 7.2 रुपये होगा। इसी तरह, अन्य पेमेंट एग्रीगेटर्स भी अपने-अपने शुल्क पर जीएसटी वसूलते हैं।
यूपीआई ट्रांजैक्शन पर भविष्य में क्या बदलाव हो सकते हैं?
हालांकि, वर्तमान में यूपीआई ट्रांजैक्शन पर कोई जीएसटी लागू नहीं है, लेकिन भविष्य में यह नियम बदल सकता है। यह बदलाव जीएसटी काउंसिल की आगामी मीटिंग में प्रस्तावित किया जा सकता है। लेकिन अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। यूपीआई ट्रांजैक्शन को जीएसटी के दायरे में लाने का उद्देश्य राजस्व बढ़ाना हो सकता है, लेकिन इससे डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की कोशिशों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
निष्कर्ष
यूपीआई और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन ने भारत में भुगतान के तरीकों में क्रांति ला दी है। 2000 रुपये से कम के ट्रांजैक्शन पर जीएसटी लगाने की खबरों ने लोगों में भ्रम पैदा कर दिया है। लेकिन अभी तक यूपीआई ट्रांजैक्शन पर कोई जीएसटी नहीं लगाया गया है। हालांकि, डेबिट और क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन पर 18% जीएसटी लागू किया जा सकता है।
डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने के लिए सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि डिजिटल भुगतान पर अधिक शुल्क न लगाकर लोगों को इसे अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके।
यह लेख “ऑनलाइन ट्रांजैक्शन पर जीएसटी” के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाता है, जिसमें यूपीआई और डेबिट/क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किए गए भुगतान पर जीएसटी की संभावना पर चर्चा की गई है।
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